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नाद की आवाज > बिजनेस > आयातित दलहन को मंडी टैक्स के दायरे से बाहर करने की मांग, दाल मिल संचालकों व मंडी व्यापारियों ने सौंपा ज्ञापन, 4 दिसम्बर को हड़ताल की दी चेतावनी

आयातित दलहन को मंडी टैक्स के दायरे से बाहर करने की मांग, दाल मिल संचालकों व मंडी व्यापारियों ने सौंपा ज्ञापन, 4 दिसम्बर को हड़ताल की दी चेतावनी

केकड़ी, 02 दिसम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दाल मिल संचालकों एवं मंडी व्यापारियों ने सोमवार को जिला कलक्टर श्वेता चौहान एवं मंडी सचिव उमेश शर्मा को मुख्यमंत्री के नाम लिखा ज्ञापन सौंपकर राज्य के बाहर से आने वाले दलहन को मंडी टैक्स के दायरे से बाहर करने की मांग की है। ज्ञापन में बताया कि राजस्थान में दलहन पर 1.60 प्रतिशत मंडी शुल्क एवं 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण नामक सेस वसूला जा रहा है।

केकड़ी: जिला कलक्टर को ज्ञापन देने के लिए कलेक्ट्रेट में जमा हुए मंडी व्यापारी एवं दाल मिल संचालक।

4 दिसम्बर को रहेगी हड़ताल ज्ञापन में बताया कि गुजरात में मंडी टैक्स 0.60 प्रतिशत व हरियाणा में 1 प्रतिशत लिया जाता है तथा पंजाब, दिल्ली और बिहार में कोई मण्डी टैक्स नहीं लिया जाता है। राजस्थान में दलहन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को आयातित दलहन को मंडी टैक्स के दायरे से बाहर करना चाहिए तथा कृषक कल्याण शुल्क भी समाप्त करना चाहिए। सरकार की उदासीनता से नाराज दाल मिल व्यवसायी 4 दिसम्बर को हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल को अन्य संगठनों ने भी समर्थन दिया है।

क्या है वस्तुस्थिति दलहन उत्पादन में मध्यप्रदेश भले ही राजस्थान से आगे हो। परन्तु दाल उत्पादन में राजस्थान देश में नम्बर वन पर है। राजस्थान में तीन हजार से ज्यादा दाल मिले है। जिनके माध्यम से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। प्रदेश के व्यवसायियों को कच्चे माल की पूर्ति के लिए पडोसी राज्यों से मंडी शुल्क चुका कर माल खरीदना पड़ रहा है। फिर यहां आते ही फिर से मंडी टैक्स के साथ कृषि कल्याण टैक्स की मार है।

केकड़ी: मंडी सचिव उमेश शर्मा को ज्ञापन सौंपते मंडी व्यापारी एवं दाल मिल संचालक।

दूसरे राज्य के व्यापारी उठा रहे मुनाफा इसका फायदा उठाकर दूसरे राज्य के लोग राजस्थान में दाल बेचकर मुनाफा कमा रहे है और प्रदेश का दलहन उद्योग अन्य राज्यों में पलायन के लिए मजबूर हो रहा है। टैक्स की दोहरी मार के कारण प्रदेश का दलहन आधारित उद्योग संकट में है। दाल मिलों पर ताले लगने की नौबत आ गई है। ज्यादातर व्यापारी अपने उद्योग को उन पड़ोसी राज्य में शिफ्ट करने पर विचार कर रहे है, जहां टैक्स कम है।

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