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नाद की आवाज > बिजनेस > ईंट-भट्टों को जिग-जैग तकनीक से संचालित करने के लिए कार्यशाला का आयोजन -यह तकनीक परंपरागत भट्टों से बेहतर ताप, अधिक ऊर्जा दक्षता एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन में सहायक

ईंट-भट्टों को जिग-जैग तकनीक से संचालित करने के लिए कार्यशाला का आयोजन -यह तकनीक परंपरागत भट्टों से बेहतर ताप, अधिक ऊर्जा दक्षता एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन में सहायक

जयपुर, 22 जनवरी। पर्यावरणीय चुनौतियों के सम्बन्ध में माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा जारी निर्देशों की अनुपालना में प्रदेश में सभी ईंट-भट्टों को जिग-जैग तकनीक से संचालित करने के लिए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा ईंट-भट्टे हितधारकों के साथ बुधवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। ईंट-भट्टों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिग-जैग तकनीक से सभी ईंट-भट्टों को रूपान्तरित किया जा रहा है।

जिग-जैग तकनीक से निर्मित ईंट-भट्टे परंपरागत भट्टों से बेहतर ताप एवं अधिक ऊर्जा दक्षता वाले होते है, साथ ही 20 से 40 फीसदी कम स्थान में निर्मित होकर अच्छी गुणवत्ता और अधिक संख्या में ईंटों का उत्पादन करते हैं। इसके अतिरिक्त ईंधन की खपत और कार्बन एमिशन में कमी भी होती है। 

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव श्री विजय एन. ने कहा कि ईंट-भट्टा उद्योग देश में लाखों कुशल व अकुशल लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है।वर्तमान समय में पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए इस उद्योग में नवीन तकनीकों की आवश्यकता है। उन्होंने उपस्थित सभी ईंट-भट्टा संचालकों को शीघ्र ही जिग-जैग तकनीक से भट्टों के निर्माण के लिए कहा तथा उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर भी विचार-विमर्श कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। 

पंजाब राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्रधान वैज्ञानिक श्री मगनबीर सिंह ने जिग-जैग तकनीक से ईंट-भट्टों के निर्माण के संबंध में तकनीकी जानकारियों की प्रस्तुति दी। इस दौरान उन्होंने मानक भट्टों के निर्माण, स्थानीय ईंधन के प्रयोग, श्रमिकों के प्रशिक्षण आदि के सम्बन्ध में प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक राजस्थान में ईंट-भट्टा उद्योग में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी जो देश में कार्बन एमिशन रोकथाम में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होगी।   

कार्यशाला में पधारे हितधारकों ने भी मंडल के इन प्रयासों की सराहना करते हुए शीघ्र ही जिग-जैग तकनीक से भट्टों के निर्माण की समर्थता व्यक्त की। इससे पूर्व पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के लाभार्थियों ने जिग-जैग तकनीक के अनुभव बताये और अन्य हितधारकों को भी इसके लिए प्रेरणा दी। इससे पूर्व मंडल की पर्यावरण​अभियंता श्रीमती रंजन गर्ग ने माननीय एनजीटी द्वारा जारी निर्देशों की जानकारी से सभी को अवगत कराया।

कार्यशाला में ईंट भट्टा संघों के प्रतिनिधि, संचालक, संबंधित जिलों के अधिकारी एवं मंडल के क्षेत्रीय अधिकारियों ने भाग लिया।

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